रविवार, 8 सितंबर 2013

नचारी - जय गणेश.

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जय हो गनेश ,प्रथम तुमका मनाय लेई ,
कारज के सारे ही विघ्न टल जायेंगे !
नाहीं तो देवन के दफ़्तर में गुजर नहीं,
तुमका मनाय सारे काज सर जायेंगे !
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सारे पत्र-बंधन के तुम ही भँडारी हो ,
हमरे निवेदन को पत्र तुम करो सही,
हमसों पुजापा लेइ ,आगे बढ़ाय देओ !
बाबू हैं गनेस, तिन्हें पूज लेओ पहले ई !
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दस चढ़ाय देओ, ई हजार बनवाय दिंगे
कलम की मार बड़े-बड़े नाचि जायँगे ,
उदर बिसाल सब चढ़ावा समाय लिंगे
इनकी किरपा से सारे संकट कटि जाहिंगे !
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कहूँ जाओ द्वारे पे बैठे मिलि जावत हैं ,
देखत रहत कौन, काहे इहाँ आयो है !
कायदा कनून तो जीभै पे धर्यो है पूरो!
नाक बड़ी लंबी, सूँघ लेत सब उपायो हैं
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चाहे लिखवार ,तबै लिखन बैठ जाइत हैं
क्लर्की निभात बड़े बाबू पद पायो  है.
वाह रे गनेस, तोरी महिमा अपार
आज तक किसउ से जौन बुद्धि में न हार्यो है!
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विधना के दफ़्तर के इहै बड़े बाबू हैं
पूजै प्रथम बिना तो काजै न होयगो,
सारी ही लिखा-पढ़ी इनही के हाथ,
जौन उनते बिगार करे जार-जार रोयगो !
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हाथन में लडुआ धरो , पत्र-पुस्प अर्पन करो ,
सुख से निचिंत ह्वैके जियो जिय खोल के
पहुँचवारे पूत, रुद्र और चण्डिका के है जे,
इनके गुन गान करो, सदा जय बोल के !
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सोमवार, 2 सितंबर 2013

जैसी हूँ...

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जैसी हूँ  मैं ,उसी रूप में प्रभु, स्वीकार करो !
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जो स्वभाव है भाव वही लो, गलत लग रहा हो कि सही हो ,
मनो-वासना देखो  मेरी त्रुटियाँ उर  न धरो.
भूल-भटक लौटी हूँ  द्वारे ,इन फंदों से कौन निवारे 
बीत गया जो रीत गया ,अब तुम परिताप हरो !
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तुमने ही तो रचा मुझे यों ,धुन पर नाचे नाच, नटी ज्यों,
जैसा बना ,कर सकी जितना, अंगीकार करो .
कहाँ रहा मेरा कोई वश, बस इतना मुझसे पाया सध ,
दोषों का परिहार करो प्रभु ,अवगुण क्षमा करो.
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पता न ये भी था करना क्या ,कैसे जीवन को भरना था 
चलती बेला में अपना लो, यह उपकार करो !
जो कुछ हुआ तुम्हीं ने प्रेरा ,कभी हुआ  क्या चाहा मेरा ,
 अंतिम परिणति पर आ पहुँची ,तुम्हीं विचार करो .
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 अब तो जैसी हूँ वैसी  हूँ ,वृथा सोचना  क्यों ऐसी हूँ 
किसी भाँति निभ गई जगत में ,अब अनुताप हरो .
सीमित मति विचारणा मेरी, दुर्बलताएँ रहीं घनेरी  ,
लेकिन अब  दायित्व तुम्हारा,सिर पर हाथ धरो !
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केवल यत्न देखना  मेरे, निष्फलता के दंश नहीं रे 
क्या खोया क्या पाया अब तक, तुम्हीं हिसाब करो , 
गहन कृष्णमयता में सारे , कलुष समा लो मोहन, मेरे
मेरे अंतर्यामी, मन के विषम विषाद हरो  !
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